Friday, February 7, 2014

तुम हुआ करती थी तब तो ऐसा न हुआ कभी।


बदल सको तो खुदपरस्त से खुदा परस्त हो जाओं। 
वरना जिन्दगी का कोइ मुकम्मल फ़लसफ़ा नहीं होगा। 


तुम्हारे होने को ही कायनात मान बैठा था।

तुमने मुहं फेरा तो हम कहीं के न रहे।



दुनिया के मसायल में डूबा हुआ था कृष्ण।

तुम से राफ्ता हुआ तो दुनिया ही खो गयी।



बड़ी थकन सी है अब जिस्म ओ जां में कृष्ण।

तुम हुआ करती थी तब तो ऐसा न हुआ कभी।


कृष्ण कुमार मिश्र "कृष्ण"




No comments: