Friday, February 7, 2014

तुम्हे पाने की फिर इक नयी तदबीर सूझी है..




फेर ली नज़र तुमने तो काफ़िला रूक जाएगा।
तुमने ग़र आंसू बहाए ज़लज़ला आ जाएगा।

दिल में रखे जो भरम तो फासला हो जाएगा.
मेरे बिना गर तुम चलें तो हौसला खो जाएगा.

इश्क की दौलत नहीं वो याद फिर भी साथ है 
मुझको खो कर तुम चले तो रास्ता खो जाएगा.

ज़िंदगी तो यूं ही गुजर जायेगी एक दिन 
तुम नहीं होगे तो सब बेमजा हो जाएगा 

चलो छोडो वो सब बातें आ जाओ इश्क के दर पर 
वरना जहां में तेरी मेरी दास्ताँ इक फलसफा हो जाएगा

तुम्हे पाने की फिर इक नयी तदबीर सूझी है 
ज़रा देखो मेरी जानिब तो रास्ता मिल जाएगा.

वक्त गुजरता ही रहेगा यूं ही मुसलसल कृष्ण 
मिलने बिछुड़ने का ये किस्सा ही फकत रह जायेगा 

कृष्ण कुमार मिश्र "कृष्ण"

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